Swati Sharma

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लेखनी प्रतियोगिता -28-Nov-2022 कहानी:- तुम मेरा चांद हो

दैनिक प्रतियोगिता:-


तुम मेरे चांद हो:-

        विनय एक बहुत ही शांत स्वभाव का लड़का था। औरतों का सम्मान करता था। दिखने में सुंदर भी था, परंतु थोड़ा अंतर्मुखी स्वभाव का था। उसके रिश्ते के लिए कई जगह बाते चल रही थी। परंतु, वह किसी और लड़की को पसंद करता था, उस लड़की का नाम नम्रता था। यह बात वह उस लड़की को कहने से डरता था। उसको लगता कि कहीं वह लड़की उससे नाराज ना हो जाए, कहीं उसे मना ना कर दे, वगेरह - वगेरह।
        एक दिन एक मनचली लड़की की नज़र उस पर पड़ी। वह हाथ धोकर उसके पीछे पड़ गई। उस लड़की ने कहीं से विनय का फ़ोन नंबर भी पता कर लिया। वह उसे फ़ोन करके रोज़ परेशान करने लगी। उससे उल्टी -सीधी बातें करती। लेकिन वह परेशान नहीं होता था। एक दिन उस लड़की ने हद ही पार कर दी। उसे कहीं से यह पता चल गया कि विनय किसी मॉल में गया हुआ है। बस फिर क्या था उस लड़की ने वहां तमाशा करना शुरू कर दिया। विनय चूंकि महिलाओं का सम्मान करता था, उसे कुछ ना बोला। परंतु, उस लड़की ने धीरे- धीरे सभी हदें पार कर दी। वह जो मुंह में आया उसे बोलने लगी। विनय सीधा और बेवकूफ तो नहीं था। परंतु महिलाओं का सम्मान करता था, और अपने इसी स्वभाव के कारण उस लड़की की बदतमीजियों को सहन करता रहा।
         तभी अचानक नम्रता वहां आ गई। यह शायद नियति का ही खेल था। नम्रता ने जब यह सब देखा तो उस लड़की के पास जाकर उसे ज़ोर का तमाचा मारा। वह लड़की सकपका गई और खिसियाई। नम्रता उससे बोली - "क्यों... लडको की क्या कोई इज्जत नहीं होती, बहुत देर से तुम्हें देख रही हूं। जो मुंह में आ रहा बोले जा रही हो। अगर कोई शरीफ आदमी तुम्हारे सम्मान के कारण कुछ बोल नहीं रहा है, तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम उसे इस तरह अपमानित करती रहो। जब बात लड़कियों के सम्मान की आती है। तब तो तुम लोग मोर्चा लेकर खड़ी हो जाती हो। वो बात ठीक है, परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि लड़कों की कोई इज़्ज़त और सम्मान नहीं होता। अगर तुम्हें सम्मान चाहिए तो तुम भी दूसरों को सम्मान देना सीखो। वो तो इस लड़के की शराफत है कि यह तुमसे कुछ कह नहीं रहा, कोई ओर होता तो दो मिनट में तुम्हें ठीक कर देता। अब खड़ी- खड़ी मेरा मुंह क्या देख रही हो? निकालो यहां से और अगर थोड़ी भी शर्म बाकी हो तो दुबारा किसी लड़के को परेशान करने से पहले सोच लेना कि कहीं कोई लड़की उसका संरक्षण करने हेतु फिर से तुम्हारी इज़्ज़त की धज्जियां ना उड़ा दे।"
            वह लड़की चुपचाप वहां से चली गई। विनय ने नम्रता को धन्यवाद कहा और उसे अपनी कार में उसके घर तक उसे छोड़ने का प्रस्ताव रखा। दोनों कार में बैठकर नम्रता के घर पहुंचे। कार से उतरकर दोनों नम्रता के घर जा ही रहे थे कि तभी अचानक पूरे शहर की बिज़ली चली गई नम्रता ने विनय से कहा - " आज अमावस्या है, आप ज़रा संभलकर चलिएगा कहीं आपको ठोकर ना लग जाए। मुझे तो रास्ता मालूम है, लेकिन आपको नहीं पता। विनय ने तपाक से उत्तर दिया - "अमावस्या है तो क्या हुआ मेरा चांद तो तुम हो, फिर भला मुझे ठोकर कैसे लग सकती है?" नम्रता मुस्कुराई और बोली -" और तुम मेरा चांद हो तो, मैं भला किसी और को तुम्हें कैसे धूमिल करने दे सकती थी। अगर भविष्य में इस तरह की समस्या हो तो आप बेझिजक मुझे कह सकते हो " विनय को नम्रता से बिना कुछ कहे ही अपने प्रश्न का उत्तर मिल चुका था। अतः दोनों ने अपने परिवार वालों से बात की और कुछ समय पश्चात् दोनों का विवाह हो गया और दोनों खुशी- खुशी जीवन व्यतीत करने लगे।

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8 Comments

Babita patel

24-Aug-2023 06:37 AM

amazing

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Swati Sharma

28-Mar-2024 10:37 PM

thanks

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Babita patel

24-Aug-2023 06:37 AM

amazing

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Swati Sharma

28-Mar-2024 10:36 PM

thanks

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madhura

17-Aug-2023 04:58 AM

nice one

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Swati Sharma

28-Mar-2024 10:36 PM

thanks

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